हम आपको बता दे की medical fitness certificate जरूर क्यों होती है और कहां पर लगती है या कीस लिए बनवाया जाता है इसे हॉस्पिटल में बनाया जाता है कि आप कहीं से भी किसी भी बीमारी से ग्रसित नहीं है और आपका हेल्थ सही है या प्रमाणित करता है मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट तो चलिए चलते हैं इस पोस्ट में आपको बताते हैं इसके बारे में पोस्ट में बने रहें
Medical Fitness Certificate Rules
यह डॉक्टर द्वारा प्रमाणित किया जाने वाला Medical Fitness Certificate Rules के बारे में जानेंगे
पहले आपके नजदीकी किसी कंप्यूटर की दुकान पर जाना होगा वहां सर्टिफिकेट का कॉपी मिलेगा या ऑनलाइन वेबसाइट से भी उसे डाउनलोड कर प्रिंट कर लेना हैं और उसे फॉर्म भरकर सरकारी अस्पताल में जाकर के वहां पर
काउंसलिंग काउंटर पर जाकर के जमा करवा देना है और वहां पर जांच लिखेंगे अगर आंख का जांच दिखता है तो उसे पर्ची पर लिखा होगा किस रूम में जाना होगा जाने के बाद उसमें आपकी आंखों की चेक होगा जिस रूम में चेक होगा जैसे वजन हाइट ब्लड प्रेशर संबंधित चेक होगा यदि हेल्थ चेक करना है तो हेल्थ चेकअप में लेकर जाएंगे वहां पर चेक करने के बाद आपको बताएंगे कि हेल्थ कंडीशन आपकी कैसी है जैसे-जैसे चेक होगा वैसे-वैसे साइन करते जाएंगे और लास्ट में सर्टिफिकेट पर स्टंप मार देंगे और में काउंटर पर जाना है कुछ पैसे देने पड़ेंगे अब आपका
Medical Certificate तैयार हो जाएगा
डॉक्टर द्वारा फिटनेस सर्टिफिकेट कैसे लिखा जाता
डॉक्टर द्वारा फिटनेस सर्टिफिकेट कैसे लिखा जाता है सबसे पहले हम बता दे की फिटनेस सर्टिफिकेट या गवर्नमेंट सरकारी अस्पतालों में ही बनाया जाता है जो की बड़े-बड़े M.B.B.Sडिग्री के पढ़ाई किए हुए डॉक्टर ही बनाते हैं वही सारी जांच करने के बाद में ओके कर स्टैंप लगाकर सिग्नेचर कर देते हैं जितने जितने सही होंगे आपके हेल्थ वैसे हिसाब से लिखें होगें
मेडिकल सर्टिफिकेट की वैलिडिटी कितने दिन की होती है
मेडिकल सर्टिफिकेट की वैलिडिटी कितने दिन की होती है जैसा की हर सर्टिफिकेट किसी न किसी काम में आता है मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट मुझे की सरकारी नौकरी सरकारी दफ्तर में लगती है सर्टिफिकेट की वैलिडिटी दिन ताई होती है बता दे कि हम सर्टिफिकेट की वैलिडिटी 15 दीन तक होती है मेडिकल सर्टिफिकेट बनाने में कितने पैसे लगते हैं जैसा कि हम आपको बता दें मेडिकल सर्टिफिकेट बनाने में कोई ज्यादा पैसा नहीं लगता है और यह आसानी से अस्पतालों में बन जाता है और इसकी लागत 200 से 300 तक होता है